सदाचारः| Sadachar

सदाचारः| Sadachar ,आचारः परमो धर्मः, आचारः प्रथमो धर्मः, शीलं परं भूषणम्, उत्तमजीवनस्य सर्वोत्तमं साधनं सदाचार एव अस्ति। सदाचारवान् नरः सुखं प्राप्नोति । सत् आचरणमेव सदाचारः कथ्यते । स धार्मिको, बुद्धिमान् दीर्घायुष्च भवति। यथा सत्पुरुषाः आचरन्ति तथैव आचरणमपि सदाचारः उच्यते। यथा माता पितरौ गुरूणां च आज्ञायाः पालनं बन्दनम् च अहिंसा, परोपकारः, नम्रता, दयादयश्च।

Sadachar

आचाराल्लभते ह्यायुराचारादिप्तिताः प्रजाः।

आचाराद्धनमक्षप्यमाचारो हन्त्यलक्षणम् ।।

सामाजिकोत्थानाय सदाचारस्य महती आवश्यकता वर्तते । यः जनः सत्यं वदति, नित्यं माता- पितरौ अभिवादयति, गुरुजनानाम् आदरं करोति, परोपकारं च करोति, तस्य जनस्य आयुर्विद्यादि वद्धन्ते ।

अभिवादनशीलस्य नृत्यं वृद्धोपसेविनः ।

चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम् ॥

मूर्खाणामेव जीवनं सदाचारविहीनं भवति सोऽल्पायुः भवति तस्य सर्वत्र निरादरो भवति। आचारहीनः पुरुषः धर्महीनः पुण्यहीनश्च भवति। सदाचारेण नरस्य आदरो भवति । जगति तस्य प्रतिष्ठा भवति । अस्माकं देशे काले काले बहवः सदाचारिणोऽभवन्। सदाचारेण श्रीरामचन्द्रः मर्यादा पुरुषोत्तमोऽभवत् राणासेतारादयोपि सदाचारिणः आसन् । सदाचारेण मानवः राष्ट्रस्य समाजस्य च | कल्याणं कर्तुं शक्नोति अतोऽस्माभिः सदाचारस्य पालनं कर्तव्यम् मनुनाप्युक्तम्-

सर्वलक्षणहीनोऽपि यः सदाचारवान् नरः ।

श्रद्दधानोऽनसूयश्च शतं वर्षाणि जीवति ॥

अर्थ हिन्दी में (सदाचारः| Sadachar)

बेहतर जीवन के लिए सबसे अच्छा साधन पुण्य है। सदाचारी मनुष्य सुख प्राप्त करता है। अच्छे आचरण को अच्छा आचरण कहते हैं। वह धर्मी, बुद्धिमान और दीर्घायु होता है। सदाचारी आचरण के रूप में आचरण को भी सदाचार कहा जाता है। उदाहरण के लिए, माता-पिता और शिक्षकों की आज्ञाकारिता और पूजा, अहिंसा, परोपकारिता, विनम्रता, करुणा आदि।Sadachar

क्योंकि आचरण से जीवन उन्हीं को प्राप्त होता है जो आचरण से प्रबुद्ध होते हैं।Sadachar

गलत आचरण से धन नष्ट हो जाता है लेकिन गलत आचरण गुणों का नाश कर देता है ।Sadachar

सामाजिक उत्थान के लिए सदाचार आवश्यक है। जो व्यक्ति सत्य बोलता है, प्रतिदिन माता-पिता को प्रणाम करता है, गुरुजनों का आदर करता है और दूसरों की भलाई करता है, उसके जीवन और ज्ञान में वृद्धि होती है।

अभिवादन करने वाले का नृत्य बुजुर्ग परिचारक का नृत्य है।चार बातें उसकी आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि करती हैं।मूर्खों का जीवन सदाचार रहित होता है, वह अल्पायु होता है और सर्वत्र उसका तिरस्कार होता है। बिना नैतिकता वाला व्यक्ति बिना धर्म और योग्यता के होता है। सदाचार मनुष्य को सम्मान देता है। दुनिया में उनकी ख्याति है। हमारे देश में समय-समय पर अनेक गुणी पुरुष हुए हैं। अपने सदाचारी आचरण से श्री रामचंद्र मर्यादा के पुरुषोत्तम बने राणा सेतारा और अन्य भी सदाचारी थे । सद्गुण से राष्ट्र और समाज का पुरुष । इसलिए हमें अच्छे आचरण का पालन करना चाहिए। सत्य ही कहा है–

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