Sanskrit Nibandh Pustakam कक्षा 6 से 8 तक के लिए पुस्तक का संस्कृत में 10 लाइन का निबंध ।
- मम बहूनि पुस्तकानि सन्ति।
- एतत् मम प्रियं पुस्तकम् अस्ति।
- तस्मिन् अनेकानि सुन्दराणि चित्राणि सन्ति ।
- पुस्तकानि अतीव मनोहराणि सन्ति।
- पुस्तकानि ज्ञानस्य भण्डारः भवन्ति।
- मम् समीपे बहूनि पुस्तकानि सन्ति ।
- मम् समीपे चित्रपुस्तकम् अपि अस्ति ।
- रमणीय चित्रं चित्तम् आनन्दयति ।
- मम गृहे पुस्तकालयः अपि अस्ति।
- एतत् मम् प्रियतम पुस्तकं अस्ति।
मम् प्रिय पुस्तकं (Sanskrit nibandh in pustakam)
रामायणं लौकिक संस्कृत भाषानिबद्धम् आदिकाव्य इति कथ्यते । अस्य ग्रन्थस्य रचना आदिकविना वाल्मीकिना कृता । अस्मिन् महाकाव्ये भगवतो रामचन्द्रस्य चरितं वर्णितं वर्तते अस्मिन् काव्ये सप्तकाण्डानि सन्ति । दशरथनन्दनो रामो मानवतायाः आदर्शभूतः । त्रेतायुगे जातस्य परमादर्शभूतस्य रघुवंशस्य विविधाः कथाः जनैः सावधानतया कथ्यन्ते श्रूयन्ते च । महर्षि वाल्मीकिना रघुवंश चूडामणेः श्रीराम भद्रस्य सर्वाः कथाः रामायणे विलिखिताः।
रामायणम् उपजीव्य लौकिक संस्कृति भाषान्तरे च बहुनां काव्यानां दृश्य-काव्यानां च-रचना भूता । अत्र करुणरसः स्वाभाविकरूपेण मनोहरति काव्य रसपानरसिकाः विलक्षण विचक्षणा उत्तममहाकाव्य निर्देशावसरे रामायणी कथां प्रथमाद्रियन्ते । न केवलं विविध रसालंकार गुण छन्दसां प्रयोगचमत्कारेण अपितु रामादिलोकप्रसिद्धपात्राणाम् आदर्शभूत चरित्रचित्रकारणेन अस्याः कथायावैशिष्ट्यं विद्वद्भिः स्वीक्रियते । रामायणी कथायाः पात्रसृष्टि सजीवा व्यक्तित्व परिपूर्णा च दृश्यते । विश्वविश्रुतासु संस्कृतिषु ‘भारतीय संस्कृति’ सर्वदा एव स्वान्तर्निहित गौरवेण प्राथम्यं भजते, तस्याः संस्कृतेः स्रोतो-रूपेण रामायणी कथाया उल्लेखः कर्तुं शक्यते । रामायणग्रन्थे भावगाम्भीर्यं, भाषावैभवं, शैली रमणीयकं, परिष्कृतिप्राचुर्यं काव्य विभूतिः च पदे-पदेऽवलोक्यते । पित्रोराज्ञापालनम् भ्रातृप्रेमवैशिष्ट्यं पातिव्रतपरिपालनम् आपदि-धैर्यस्वीकरणं विदेशे नीतिव्यवहरणं च रामायणे विभिन्नकथासु परिपूरितं विद्यते ।
हिन्दी अनुवाद
रामायण को धर्मनिरपेक्ष संस्कृत भाषा में लिखी गई मूल कविता कहा जाता है। इस ग्रंथ की रचना मूल कवि वाल्मीकि ने की थी। इस महाकाव्य कविता में भगवान रामचंद्र के जीवन का वर्णन है और इसमें सात सर्ग हैं। दशरथ के पुत्र राम मानवता के आदर्श हैं। त्रेतायुग में पैदा हुए रघु वंश के बारे में लोग ध्यान से तरह-तरह की कहानियां सुनाते और सुनाते हैं महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में रघु वंश के चूड़ामणि श्री रामभद्र की सभी कहानियाँ लिखीं।
रामायण पर आधारित धर्मनिरपेक्ष संस्कृति और भाषाओं में कई कविताएँ और दृश्य कविताएँ लिखी गई हैं यहाँ करुणा का स्वाद स्वाभाविक रूप से मनमोहक है।कविता पीने के शौकीन लोग रामायण की कहानी को सबसे पहले तब सराहते हैं जब किसी उत्कृष्ट महाकाव्य के निर्देशन की बात आती है। विद्वान इस कहानी की विशिष्टता को न केवल चरित्रों की विभिन्न विशेषताओं जैसे कि राम और दुनिया के अन्य प्रसिद्ध पात्रों के उपयोग के चमत्कार से स्वीकार करते हैं। रामायण की कहानी का चरित्र निर्माण विशद और व्यक्तित्व से भरपूर है। विश्वविख्यात संस्कृतियों में ‘भारतीय संस्कृति’ ने अपने अन्तर्निहित गौरव के साथ सदा ही प्रधानता प्राप्त की है और उस संस्कृति के स्रोत के रूप में रामायण की कथा को उद्धृत किया जा सकता है। रामायण धीरे-धीरे भावों की गंभीरता, भाषा के वैभव, शैली के सौन्दर्य, परिष्कार की प्रचुरता और काव्यात्मक वैभव से चिह्नित है। रामायण में पिता की आज्ञा का पालन, भाईचारे के गुण, पति की प्रतिज्ञा का पालन, विपत्ति और धैर्य की स्वीकृति और विदेश में नैतिकता के आचरण की विभिन्न कहानियों से भरा पड़ा है।
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