सावित्रीबाई फुले भारतीयसमाजसुधारका महिलाशिक्षिका च आसीत् । सा महिलाशिक्षाक्षेत्रे, समाजसुधारक्षेत्रे च महत्त्वपूर्णं कार्यं कृतवती । सा महाराष्ट्रे प्रथमं महिलाविद्यालयं प्रारब्धवती, महिलानां शिक्षणाय, तेषां अधिकाराणां कृते युद्धं च कृतवती ।
Savitribai Phule Biography in Sanskrit
पूरा नाम | सावित्रीबाई फुले |
माता का नाम | लक्ष्मीबाई |
पिता का नाम | खंडोजी नेवसे |
पति का नाम | ज्योतिबा फुले |
जन्म | 3 जनवरी 1831, नायगाव, महाराष्ट्र |
विवाह | 1840, ज्योतिबा फुले |
कार्य | स्त्री शिक्षा, समाज सुधारणा |
मृत्यु | 30 मार्च 1897, पुणे, महाराष्ट्र |
सावित्रीबाई इत्यस्य जन्म १८३१ तमे वर्षे महाराष्ट्रस्य नैगांवनगरे अभवत् । पिता खण्डोजी नेवसे माता लक्ष्मीबाई । सावित्रीबाई बाल्यकालात् बुद्धिमान् कुशलः च आसीत् । सा स्वपत्न्याः ज्योतिबा फुले इत्यस्याः शिक्षां प्राप्तवती ।
१८४८ तमे वर्षे सावित्रीबाई, ज्योतिबा फुले च पुणे-नगरे प्रथममहिलाविद्यालयस्य आरम्भं कृतवन्तौ । एतत् विद्यालयं महिलानां कृते उद्घाटितम् आसीत् । अयं विद्यालयः महाराष्ट्रे महिलाशिक्षणस्य प्रचारं करोति स्म ।
सावित्रीबाई अपि महिलानां अधिकाराणां कृते युद्धं कृतवती । सः विधवापुनर्विवाहः, बालविवाहः, सती-अभ्यासः इत्यादीनां सामाजिकदोषाणां विरुद्धं स्वरं उत्थापितवान् ।
सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय हिंदी में विस्तार से
जन्म: 3 जनवरी 1831, नायगाव, महाराष्ट्र
मृत्यु: 30 मार्च 1897, पुणे, महाराष्ट्र
विवाह: 1840, ज्योतिबा फुले
कार्य: स्त्री शिक्षा, समाज सुधारणा
सावित्रीबाई फुले एक भारतीय समाज सुधारक और महिला शिक्षाविद थीं। उन्होंने महिला शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने महाराष्ट्र में पहली महिला स्कूल शुरू की और महिलाओं को शिक्षित करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
सावित्रीबाई का जन्म महाराष्ट्र के नायगाव में 1831 में हुआ था। उनके पिता खंडोजी नेवसे और माता लक्ष्मीबाई थीं। सावित्रीबाई बचपन से ही मेधावी और कुशल थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले से शिक्षा प्राप्त की।
ज्योतिबा फुले एक समाज सुधारक थे। उन्होंने महिला शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। सावित्रीबाई ने अपने पति के कार्य में उनका साथ दिया।
1848 में, सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले ने पुणे में पहली महिला स्कूल शुरू की। यह स्कूल महिलाओं के लिए खुली थी। इस स्कूल से महाराष्ट्र में महिला शिक्षा को बढ़ावा मिला।
सावित्रीबाई ने महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह, बाल विवाह और सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
सावित्रीबाई का 30 मार्च 1897 को पुणे में निधन हो गया। उन्होंने महिला शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनका कार्य आज भी प्रेरणादायक है।
सावित्रीबाई फुले के कार्य का
- महिला शिक्षा को बढ़ावा मिला।
- महिलाओं को शिक्षा प्राप्त कर स्वावलंबी बनने में मदद मिली।
- महिलाओं के अधिकारों के लिए जागरूकता पैदा हुई।
सावित्रीबाई फुले का कार्य भारतीय समाज की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण योगदान है।
सावित्रीबाई फुले के प्रमुख कार्य
- 1848 में पुणे में भारत की पहली महिला स्कूल की स्थापना की।
- दलितों और पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए स्कूलों की स्थापना की।
- विधवा पुनर्विवाह, बाल विवाह और सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
- महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
सावित्रीबाई फुले की उपलब्धियाँ
- उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षक के रूप में जाना जाता है।
- उन्हें समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया है।
- उनका नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।
सावित्रीबाई फुले एक महान समाज सुधारक और महिला शिक्षाविद थीं। उन्होंने महिला शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनका कार्य आज भी प्रेरणादायक है।
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