पर्यावरण पर संस्कृत निबंध || Essay on Environment in Sanskrit

पर्यावरण पर संस्कृत निबंध, Essay on Environment in Sanskrit पर्यावरण समस्या ,पर्यावरणम् ,पर्यावरणस्य महत्त्वम्, पर्यावरणस्य संरक्षणोपायाः , पर्यावरणस्य सुरक्षायाः महत्त्वम् , पर्यावरण रक्षणम् , पर्यावरण शुद्धिः , पर्यावरण संरक्षण आवश्यकता , पर्यावरण संरक्षणम् , पर्यावरण प्रदूषण का संस्कृत में निबंध इस प्रकार से लिखेंगे । Essay on Environment in Sanskrit प्रकृत्या; तत्त्वजातं परितः आवृत्य संस्थितम्, … Read more

Sanskrit Essay on My Country India | अस्माकं देशः पर संस्कृत निबंध | भरतवर्षम्

Sanskrit Essay on My Country India ,भारतवर्षम् , महान् देशः , भारत वैशिष्ट्यम् , प्रियं भारतम् भारत राष्ट्रगौरवम् , विश्वगुरु: भारतदेशः इन सभी का संस्कृत में निबंध निम्न प्रकार से लिखेंगे। Sanskrit Essay on My Country India भारतम् अस्माकम् देशः अस्तिः । पर्वतानाम् राजा हिमालयः अस्य देशस्य प्रधानः पर्वतः अस्ति सः अस्य उत्तरे मुकुटमणिरिव शोभते। … Read more

परोपकार पर निबंध संस्कृत में | Essay on Paropkar In Sanskrit language

परोपकार पर निबंध संस्कृत में , Essay on Paropkar In Sanskrit language , परोपकाराय सतां विभूतयः, परोपकारस्य महत्त्वम् , परोपकारः पुण्याय आदि का संस्कृत भाषा में निबंध निम्न प्रकार से लिखेंगे। Essay on Paropkar In Sanskrit language परेषाम् उपकारमेव ‘परोपकारः’ इति कथ्यते। कतिपयाः पुरुषाः स्वार्थमेव सर्वप्रधानं गणयन्ति परेषां कृते किंचित् न कुर्वन्ति, परन्तु सर्वे एतादृशाः … Read more

Janani Janmbhumishcha Swargadapi Gariyasi | जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

Janani Janmbhumishcha Swargadapi Gariyasi, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी निबंध संस्कृत में, देश सेवा, देशभक्तिः, स्वर्गादपि गरीयसी जन्मभूमि का संस्कृत में निबंध इस प्रकार से लिखेगें । यह निबंध कक्षा 11एवम 12 के लिए उपयुक्त है । जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी का अर्थ हिंदी में जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी का अर्थ होता है कि ” मित्र … Read more

1 से 100 तक संस्कृत में गिनती | Sanskrit Counting 1 to 100

संस्कृत में गिनती 1 से 100 तक – Sanskrit Counting 1 to 100 , sanskrit me ginti, दोस्तों आज मैं आपको संस्कृत में 1 से 100 तक गिनती इस पोस्ट के माध्यम से आपको जानकारी दे रहा हूं। आशा है आपको को यह लेख पसन्द आयेगा । अगर आप आप जानना चाहते हैं कि संस्कृत … Read more

शब्द रूप संस्कृत में | Shabd Roop In Sanskrit

शब्द रूप संस्कृत , Shabd Roop In  Sanskrit , बालक, अस्मद् , युष्मद्, तद् , का शब्द रूप आदि के साथ साथ पोस्ट में बहुत सारे शब्दों के रूप संस्कृत भाषा में लिखा गया है । Shabd Roop In Sanskrit 1.बालक शब्द रूप बालक का शब्द रूप निम्न प्रकार से लिखेगें। यह रूप बालक अकारान्त … Read more

छात्र जीवनम् संस्कृत में निबंध | Chatra Jiwanam

छात्र जीवनम् संस्कृत में निबंध , Chatra Jiwanam , छात्र जीवनम् संस्कृत , छात्र जीवनम् संस्कृत में निबंध, विद्यार्थी जीवनम् इन सभी का संस्कृत में निबंध इस प्रकार से लिखेंगे छात्र जीवनम् संस्कृत में निबंध ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्यं, वानप्रस्थ, संन्यासश्चेति चत्वारः आश्रमाः सन्ति। ब्रह्मचर्याश्रमे बालकाः गुरुं समीपं गत्वा विद्याया अध्ययनं कुर्वन्ति। स एव कालः विद्यार्थीजीवनम् कथ्यते … Read more

Wachya kise kahate hain || वाच्य किसे कहते हैं।

wachya kise kahate hain wachya kise kahate hain , वाक्य की उस दशा को वाच्य कहा जाता है जिससे यह पता चल सके कि वाक्य के प्रयोग में कर्त्ता की प्रधानता है या कर्म की प्रधानता है या भाव की। अतः वाक्य के कहने की विधि को संस्कृत में वाच्य कहते हैं। वाच्य तीन प्रकार … Read more

देवतात्मा हिमालयः | Devatatma Himalayah

Devatatma Himalayah, हिमालय:, हिमालय का संस्कृत निबंध इस प्रकार से लिखेंगे। Devatatma Himalayah Ka Sanskrit Nibandha हिमालयः भारतस्य उत्तरस्यां दिशि स्थितः संसारस्य पर्वतषु उत्तुङ्गतमस्यास्य गिरेः उच्छ्रिताः शिखरमालाः सर्वदा एव हिमाच्छादिताः तिष्ठन्ति तस्मात् एव अयं हिमालयः कथ्यते अस्य शिखराणि देशीयानां विदेशीयानां च आकर्षणकेन्द्राणि अपि वर्तन्ते हिमालयाएव गंगा-यमुना- शतद्रु-सरयु प्रमृतयः नद्यः निःसृत्य प्रवहन्ति । अस्य उपत्यकासु बहुप्रकाराणि … Read more

Holikotsav | होलिकोत्सवः

वसन्तोत्सवः, वसन्त सुषमा , Holikotsav , होलिकोत्सवः, होलिकोत्सव, होलिकोत्सव निबन्ध संस्कृत में, होलिकोत्सव निबंध इन संस्कृत इन सभी तरह के टापिक पर निबंध लिखने को कहा जाय तो इसी प्रकार से लिखेगें। Holikotsav in Sanskrit भारतवर्षे चतुर्षु प्रमुखतमेषु पर्वसु वा उत्सवेषु होलिकोत्सवः अथवा वसन्तोत्सवः हर्षेण जनमानसमा-दोलनयन्, उल्लासेन विह्वलयन्, प्रमोदेन नर्तयन्, शरीरेषु मनसु चाभिनवप्राणशक्तिं सञ्चारयन् प्रत्येकस्मिन् … Read more