नमस्कार दोस्तों, यहां पर अनुशासन पर संस्कृत में निबंध (Essay on Anushasan in Sanskrit) शेयर कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं आपको यह संस्कृत निबंध (Sanskrit Nibandh) पसंद आएगा। आप इन संस्कृत निबंध को शेयर जरूर करें।
Essay on Anushasan in Sanskrit
अनुशासनम् एव शिक्षायाः मुख्य लक्ष्यम् जीवने अनुशासनस्य महत्त्वम् , पूर्व निश्चितानां नियमानां ज्येष्ठानाम् आज्ञायाश्च पालनमेव अनुशासनम् कथ्यते । अनु उपसर्ग पूर्वक ‘शास्’ धातोः ‘ल्युट्’ प्रत्यय करणेन अनुशासन शब्दः सिद्धयति । संयमः वा आत्मनियन्त्रणाम् एतस्य शाब्दिकः अर्थः । संसारस्य आधारः अनुशासनमेव वर्तते। दार्शनिकाः स्वीकुर्वन्ति यत् सत्वरजस्तमासि मिलित्वा जगत् रचयन्ति । प्रकृतौ सर्वे पदार्थाः अनुशासनबद्धा सन्ति । यथा सूर्य: अनुशासनेन संसारं प्रकाशयति । चन्द्रः नक्षत्राणि अनुशासनं पालयन्ति । अस्याः निखिलायां व्यवस्थायाम् अनुशासनं निहितमास्ते।
अद्य प्रायः विद्यार्थिनः अनुशासनहीनाः सञ्जाताः सन्ति । अयं महदुःखस्य विषयः अस्ति यत् भारतस्य प्रशासनेऽपि अनुशासनहीनता व्याप्तास्ति। अनुशासनेन हीनाः चरित्रेण भ्रष्टाः नेतारः भारतीयां राजनीतिम् अधोगतिं प्रति नयन्ति । पतितास्ते राजनीतिं दूषयन्तः भारतीयं जीवनं तिमिरेण आच्छादयन्ति । विधाता एवं सर्वथा रक्षिष्यति भारतम् । गुरुकुलेषु, विद्यालयेषु पाठशालासु चाव्यवस्थायां मूलकारणमनुशासनहीनतैव । न केवलं सामान्यव्यवहारे अनुशासनस्यमहत्त्वमपितु राज्यसञ्चालने, राष्ट्रसंचालने, चानुशासनगौरवमेव जागर्ति। सैनिकाः देशरक्षार्थं स्वात्मानं तृणवत्पातयन्ति न गणयन्ति दुःखपयोधि न स्मरन्ति प्रियशिशून् तत्रकारणमिदमेव यत्तेऽनुशासने स्थिताः सन्ति । Essay On Anushasan in Sanskrit
शिक्षायाः उद्देश्यम् जीवनस्य सर्व प्रकारेण उन्नतिकरम् अस्ति । उन्नतिः अनुशासनं बिना असम्भवः अतः अनुशासनं शिक्षायाः, मुख्यम् लक्ष्यं कथ्यते अनुशासनेन बिना विद्यार्थिनः स्वगुरुणाम् आज्ञापालनं न करिष्यन्ति, अध्ययनं प्रति सावधानाः न भविष्यन्ति। अतस्ते शिक्षणकाले किमपि न ज्ञास्यन्ति । अतएव सत्यमुच्यते-अनुशासनम् एव शिक्षायाः मुख्यं लक्ष्यम्। Essay On Anushasan in Sanskrit
अनुशासन पर संस्कृत निबंध का हिन्दी अनुबाद
अनुशासन ही शिक्षा का मुख्य लक्ष्य जीवन में अनुशासन का महत्व पूर्व निर्धारित नियमों एवं बड़ों की आज्ञाओं का पालन ही अनुशासन है। अनु उपसर्ग के पूर्व क्रिया ‘शास’ में ‘लुत्’ प्रत्यय जोड़ने से अनुशासन शब्द की सिद्धि होती है। इसका शाब्दिक अर्थ संयम या आत्मसंयम है। संसार का आधार अनुशासन है। दार्शनिक स्वीकार करते हैं कि सत्व, रजस और तमस मिलकर ब्रह्मांड का निर्माण करते हैं। प्रकृति में सभी चीजें अनुशासित हैं। जिस प्रकार सूर्य अपने अनुशासन से संसार को प्रकाशित करता है चाँद और तारे अनुशासन बनाए रखते हैं। इस पूरी व्यवस्था में अनुशासन अंतर्निहित है।Essay On Anushasan in Sanskrit
आज अधिकांश विद्यार्थी अनुशासनहीन हो गये हैं। यह बड़े दुःख की बात है कि भारत के प्रशासन में अनुशासन का अभाव व्याप्त है। जिन नेताओं में अनुशासन की कमी है और वे चरित्र से भ्रष्ट हैं, वे भारतीय राजनीति को पतन की ओर ले जा रहे हैं। गिरे हुए लोग राजनीति को भ्रष्ट करते हैं और भारतीय जीवन को अंधकार से ढक देते हैं। इस प्रकार विधाता भारत की हर प्रकार से रक्षा करेंगे। शिक्षकों, विद्यालयों एवं विद्यालयों में अव्यवस्था का मूल कारण अनुशासन का अभाव है। इससे न केवल सामान्य व्यवहार में अनुशासन का महत्व बल्कि राज्य एवं राष्ट्र के प्रशासन में भी अनुशासन की गरिमा जागृत होती है। सैनिक देश की रक्षा के लिए स्वयं को तिनके की तरह झोंक देते हैं, वे अपने प्यारे बच्चों को याद नहीं करते, उनके दुखों की परवाह नहीं करते हैं , यही कारण है कि वे आपके अनुशासन में हैं।
शिक्षा का उद्देश्य जीवन के सभी पहलुओं को बेहतर बनाना है। अनुशासन के बिना उन्नति असंभव है। इसलिए, अनुशासन शिक्षा का मुख्य लक्ष्य है। अनुशासन के बिना, छात्र अपने शिक्षकों का पालन नहीं करेंगे और अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देंगे। अत: सीखते-सीखते वे कुछ भी नहीं सीखेंगे। इसीलिए सही कहा गया है कि अनुशासन ही शिक्षा का मुख्य लक्ष्य है। Essay On Anushasan in Sanskrit digitallycamera.com
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